Rahul Awasthi Poems

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1.
Meri Maa

Rone ka salika bhi bhula deti hai..
Agar maa yaad aa jaye to Ji bharke rula deti hai...
Jab bhi ab saaye bhi tere mujhe yaad aate hai...
Dil garaj uthata hai maa, aankho me tufaan aate hai...
...

इन आँखों में
एक अनकही सी आस
एक अनबुझी सी प्यास
तुम्हे फिर देखने की मौजूद है अब भी
...

तुम्ही में तुम, मुझी में मै, ना हो पाए।
कितनी कौशिशें की मगर कमबख्त हम अलग ना हो पाए।।

ये ख्वाईश जो ना तेरी थी,
...

4.
Tu Hai Abhi...

Kis tarah kru byaa, jo hai khfa vo kon hai...
Kis tarah ye du bta, jo hai nhi vo kon hai...! !

Kis tarah kahu O_màa, vo tum hi ho.....
...

5.
ये राजनीति छोड़ दें

आप से अनुरोध है ये राजनीति छोड़ दो
कुछ खड़े हैं सूट में कुछ आज भी निर्वस्त्र हैं
क्या बताये किस तरह से देश अपना पस्त है
जनता मरे तो मरे मगर नेता खुदी में मस्त है
...

इस कदर ख़ामोश क्यों खड़े हैं बताये कैसे।
चोट जो दिल पर खाई है दिखाए कैसे।।

अब कोई मेरा अपना बनकर मेरे कुनबे का लहू मांगता है
...

7.
दोस्त

जिस तरह अंधेरो में कोई जुगनू आस बंधता है
उस तरह दोस्तों से ये जिंदगी रंगीन हुई
दुश्मनी जब भी दोस्ती में तब्दील हुई
कितनी काली क्यों न हो घटा रंगीन हुई
...

8.
ज़रूरी होता है।

दर्द कितना क्यों न सही पाँव को उठाना जरूरी होता है।
मंज़िले नामुमकिन ही सही मगर चलते जाना ज़रूरी होता हैll

क्या पता कब किसका तबस्सुम लग जाये इन हाथो को
...

सभी के घर, सभी के दिल, सभी के ईमान जिन्दा हैं।
मै जिन्दा हूँ, और मेरा हिंदुस्तान जिन्दा है।l

सभी मज़हब, सभी अल्लाह, सभी भगवान जिन्दा हैं।
...

10.
शौकीन रहे

सब लोग उम्र भर मेरी हिम्मत, मेरा हौसला आज़माने के शौकीन रहे!
मंज़िले दूर रही या पास फर्क ही क्या
पड़ा
क्योंकि हम तो मंज़िलो को पाने के शौकीन रहे।
...

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