खामोश क्यों खड़े हैं बताए कैसे Poem by Rahul Awasthi

खामोश क्यों खड़े हैं बताए कैसे

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इस कदर ख़ामोश क्यों खड़े हैं बताये कैसे।
चोट जो दिल पर खाई है दिखाए कैसे।।

अब कोई मेरा अपना बनकर मेरे कुनबे का लहू मांगता है
कितनी नापाक है तेरी हरकते तुझे समझाये कैसे।

मेरा दोस्त बनकर मेरे ही घर में हिस्सा मांगता है ।
हद है यार, आखिर कोई इतना भी गिरे तो गिरजाए कैसे।।

अब दिन रात गूंगा भिकारी बना फिरता है ।
इतनी छोटी है तेरी हस्ती अब मिटाये तो मिटाये कैसे ।।

ये तेरी चाहते तेरा लालच तेरा जूनून ।
बेगुनाह खून से रंगा है आखिर तुझे समझाये कैसे।।

मौका है अभी सम्भल जा फिर ना केहना
आपके हाथ मेरे गिरेबान तक आये कैसे।।

Sunday, August 7, 2016
Topic(s) of this poem: country,indian
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
यह एक प्रकार कस व्यंग है ।....हर देश को अपने मित्र देशो के साथ अच्छे संबन्ध रखने चाहिए...जो हो नही पा रहा ।इसलिए कुछ देशो को सोच बदलनी चाहिए।।
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