देश की राजधानी दिल्ली ने ओढ़ा है smog का कफन,
बच्चों के सपने और बूढ़ों की जिंदगी हो रही है दफन |
इंसान के लालच और लापरवाही की ये है इंतिहा,
पहले स्वच्छ यमुना को किया कलुषित
और अब हवा को भी कर दिया प्रदूषित |
अब तो खुली हवा में सांस लेना भी है दूभर,
न जाने कौन सी बीमारी घुस जाएगी अंदर |
चेहरे पर मास्क, आंखों में जलन, सिर में दर्द, गले में खराश
और सीने में घुटन का एहसास
किसी की समझ में कुछ नहीं आ रहा, सब हैं बदहवास |
मंत्री और आला अफसर बता रहे हैं विचार-मंथन को सफल,
अब brain-storming से निकालेंगे इस समस्या का कोई quick-fix हल |
राजनीतिक blame game का भी चल रहा है आदान-प्रदान,
इससे क्या समस्या का हो जायगा निदान?
कुछ दिनों के लिये विद्यालय रहेंगे बंद,
शायद इससे बन जायगी बात ये सोंच रहे सब अक्लमंद |
वर्ना फिर से odd-even फॉर्मूले को आजमाएंगे,
सिसकती जनता को और भी रुलाएंगे |
विकास की अंधी दौड़ में हम भी हो गये हैं अंधे,
न जाने कैसे-कैसे कर रहे हैं गोरखधंधे |
जंगलों और पेड़ों को हम काट रहे हैं,
सबको नयी-नयी बीमारियां हम मुफ्त बांट रहे हैं |
जल-निकास के रास्तों को हम पाट रहे हैं,
वाहनों और फैक्ट्रियों से हवा में जहर घोल रहे हैं,
बढ़ती GDP के नशे में सब डोल रहे हैं |
घास और मिट्टी की जागीर तो सिमटती ही जा रही है,
हंस रहा है cement और concrete मुस्कुरा रही है |
कहीं तेज विकास ही न दे दे विनाश को निमंत्रण,
लुप्त होता जा रहा है हमारा नियंत्रण |
वायु और जल तो हैं प्रकृति के अनमोल वरदान,
करना सीखो इनका उचित सम्मान |
वृक्ष ही तो नीलकंठ की भांति पीते हैं
धूल तथा कार्बन-डायक्साइड का जहर,
काटते जाएंगे इन्हें तो टूटेगा धरती पर
एक दिन प्रकृति का कहर |
वृक्ष अगर कटते हैं तो नये पेड़ भी लगाओ,
हरी-भरी इस धरती को बर्बादी से बचाओ |
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