Jeevan Ki Visamtayen Poem by Rakesh Sinha

Jeevan Ki Visamtayen

Rating: 5.0

किसी की five star रातों में शैम्पेन बरसता है,
तो कोई दो घूंट सादे पानी को तरसता है |
कोई रंगीन रातों में item songs पर थिरकती बार-बालाओं पर पैसे लुटाता है,
तो कोई भूख से बिलखते बच्चों को झूठी तसल्ली देकर सुलाता है |
कोई चमचमाती Mercedes में सिर्फ तफरीह के लिए long drive पर जाता है,
तो कोई कड़ी धूप में, दो जून के निवाले की खातिर दिन भर पसीना बहाता है |
किसी को मयस्सर नहीं तन ढंकने को कपड़े,
तो कोई designer dress में page 3 पर आता है |
कोई आलीशान बंगले में रेशमी बिस्तर पर चैन की नींद सोता है,
तो कोई ठिठुराने वाली ठंढ की काली रात में
किसी ओवरब्रिज के नीचे पड़ा, सूरज की गर्मी की बाट जोहता है |
कोई अपने प्रियजनों से मिलने की खातिर,
भेड़-बकरी की तरह, पैसेंजर ट्रेन में ठुसकर, लंबी यात्रा की यातना झेलता है,
तो कोई luxury airline के business class में
टांगें पसारकर wine के घूंट गले में उड़ेलता है |
कैसी हैं ये जीवन की विसमताएं?
इन्हें देख कर कवि का दिल भर आता है |

Monday, September 29, 2014
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
Ajay Kumar Adarsh 19 August 2016

is kavita ki ek-ek line ultimate hai bahut khubsurati se waya kiya hai aapne jivan ki vishamtaon ko I would like to rate this poem 10/10

0 0 Reply
Rakesh Sinha 23 August 2016

Thanks for appreciating Mr Adarsh.

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