मेरी नींदे उड़ाते है
में पाँव रखने से भी डरता हूँ
पर में कायर नहीं हूँ
मुझे अंधेरो से डर लगता है
पर मेरा विस्वास मुझे आघे ले जाता है।
मुझे विस्वास नहीं आ रहा
क्या यही भारत मेरी कल्पना में रहा?
लया यही लोग भारत के सपने साकार कर रहे है?
अपनी फ़ौज के सीपाही को मरते देखकर भी सियासत कर रहे है!
मैंने कहा था 'मेरा मकसद पूरा हुआ'
अब कांग्रेस की आघे जरुरत नहीं और मिशन पूरा हुआ
पर में आज क्या देख रहा हूँ?
अपनी शहादत के बहाने पुरे देशको लज्जितं कर रहे है?
मेरा पुतला लगाकर किसी भी चोराये पर बैठ जाते है?
रामधुन तो लगाते है पर शराब नहीं भूलते है
देश की सर्वोच्च संसद को इन्होंने अखाड़ा बना रखा है
और अपना ही वेतन खुद तय करनेका हथकंडा अपना रखा है।
क्यों चाहिए इनको सस्ता भोजन?
जब गरीब को नसीब नही होता और रहता दूर जोजन
गाड़ी बंगले से भरा पुर काफिला और एक ही कुटुंब का राज
ये सिर्फ गुजारा करते है मंडी बनाकर आज।
लाज शर्म इन्होंने छोड़ दी है
बोलने की सभ्यता इनमे रही नहीं है
सरेआम औरत का मान सन्मान लूट रहे है
गरीब भारत का सपना टूट रहा है।
मेरे सत्याग्रह का आग्रह ही आज अभिशाप बन गया है
चोर, लुटेरे, शराबी को 'राजकारण 'आशियाना बन गया है
सभी लूट करने में लगे है और लोग भी शराब की प्याली में बिक जाते है
यहि भारत मेरी कल्पना के बाहर का है और मेरी नींदे उड़ाता है।
welcome brian stark Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome t hakkar nilesh Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome Daksha Dashrath Mistry Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome Padam Sîñgh Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome Lakshmi Prasad Karsh Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome roshni thakkar Unlike · Reply · 1 · Just now
welcome val caldwell Unlike · Reply · 1 · Just now
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
मेरे सत्याग्रह का आग्रह ही आज अभिशाप बन गया है चोर, लुटेरे, शराबी को राजकारण आशियाना बन गया है सभी लूट करने में लगे है और लोग भी शराब की प्याली में बिक जाते है यहि भारत मेरी कल्पना के बाहर का है और मेरी नींदे उड़ाता है।