खामियाजा भुगतना ही है
एक ही प्राणी ऐसा है
जो गिरगिट की तरह बदलता है
मौसम का हर रंग उसके पास है
वो हम में और आसपास ही है। खामियाजा भुगतना ही है
पशु भी अपनी पूछ पटपटाते है
जब हम उनको खाना देते है
वो एहसानफरामोश हो जाते है
मुंडी नीचे करके नतमस्तक हो जाते है। खामियाजा भुगतना ही है
हमने प्रकृति क्या सिखा है?
हमने किस चीज़ की कामना किया है?
जो हमारा नहीं है उसको अपना बनाने की लालसा की है!
हर कदम पर धोखाधड़ी करने की सोची है। खामियाजा भुगतना ही है
क्यों हम ये भूल रहे है?
हमारा अस्तित्व ही क्षणभंगुर है
वो कभी भी समय आनेपर पूरा हो जाएगा
आपको सब कुछ यहाँ ही छोड़कर जाना पडेगा। खामियाजा भुगतना ही है
क्यों हम दानव बने फिरते है?
मासूमों का क़त्ल कर देते है
माँ बहनों की इज्जत से खिलवाड़ करते है
सरेआम बेइज्जत और चलते चलते अगवा कर लेते है! खामियाजा भुगतना ही है
नहीं है मेरे पास इन सब का उत्तर
में भग्न और दुखी हूँ निरुत्तर होकर
हम सबने प्रतिकार करना है
अपना ख़ास उसमे शामिल है तब भी सामना करना है। खामियाजा भुगतना ही है
गोर करे ओर अपने में झांके
क्या मिलेगा बेगुनाहों को मारके
वो तो बानगी कर रहे है आँखे मुंद कर
आप स्वर्ग में भेज रहे है मृत्युदंड दे कर। खामियाजा भुगतना ही है
बाँट सको तो बांटना
पोंछ सको तो किसी के आंसू जरूर पोंछना
दो शब्द कह पाओ तो ठीक है वरना उसकी जरूर से सुन लेना
वो कहता रहेगा आप जरूर से, वक्त जरूर दे देना। खामियाजा भुगतना ही है
समय आ गया है आपका खेल ख़त्म होगा
आपका यहाँ से बिदा लेना ही उत्तम होगा
उपरवाले ने आपको प्रेमका सन्देश लेकर भेजा है
अन्यथा हमने उसका खामियाजा भुगतना ही है। खामियाजा भुगतना ही है
समय आ गया है आपका खेल ख़त्म होगा आपका यहाँ से बिदा लेना ही उत्तम होगा उपरवाले ने आपको प्रेमका सन्देश लेकर भेजा है अन्यथा हमने उसका खामियाजा भुगतना ही है। खामियाजा भुगतना ही है
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ishan gandhi Unlike · Reply · 1 · Just now 55 minutes ago