हम जिए जाएँ लम्हें Poem by Raghawendra Pandey

हम जिए जाएँ लम्हें

हम जिए जाएँ लम्हें हर शान के मुताबिक़
हर शाम गुज़र जाये अनुमान के मुताबिक़

कुछ ऐसा करिश्मा हो मिट जाएँ भेद सारे
अल्लाह के बंदे चलें भगवान के मुताबिक़

कुछ दिन पढ़ें गीता सभी हम साथ बैठकर
कुछ दिन कदम बढ़ाएँ क़ुर-आन के मुताबिक़

सुबहो भजन सुनाएँ, दिन भर खुशी में झूमें
संझा को सुर सजाएँ, फिर अज़ान के मुताबिक़

दिन में मनाएँ होली रातों में हो दिवाली
पर इनके बीच जी लें रमज़ान के मुताबिक़

राजा हुए किनारे, होने लगे महल के
अब तो हर-एक फ़ैसले दरबान के मुताबिक़

पत्थर में कोई ढूँढ़े कोई प्रेम गली में
ईश्वर मिलेंगे सबको अपने ध्यान के मुताबिक़

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