Raghawendra Pandey

Raghawendra Pandey Poems

हर तरफ़ है छिड़ी समय को भुनाने की ज़िरह
कल का सौदा टके का, आज बेशकीमती है

कल था नवरात्र तो महँगी थी देवियों की शकल
...

शहर में कुछ गाँव होते, गाँव में कोई शहर होता
बैठते मिल बात करते, ऐसा कोई पहर होता

दोनों ही घर से निकलते, मिलके जी भर बात करते
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जो भरा है श्रीविभूषित सौख्यप्रद भंडार से
वह ने कोई देवधन है
या न कोई मुक्ति प्रण है
यदि नहीं मनुजत्व उसमें, वह वीराना है सिफ़र है
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प्राप्त करने को जिसे दिन भर लड़े
वह आ गयी रोती हुई सी शाम, लेकर क्या करोगे

हम प्रथम किस भाँति हों, विजयी बनें
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देश नहीं बदलेगा शहरों की गलियों से
ऐश-कैश से या फिर मस्ती रंगरलियों से
रहते जहाँ रथी पौरुष के
उन सब गाँवों से बदलेगा
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हम जिए जाएँ लम्हें हर शान के मुताबिक़
हर शाम गुज़र जाये अनुमान के मुताबिक़

कुछ ऐसा करिश्मा हो मिट जाएँ भेद सारे
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ये हथकड़ियाँ और सलाखें, डर लगता है
लुटी शांति आए दिन रहता रेड-अलर्ट है शहरों में
जीवन की मधुरसता खोयी फ़न फैलाती लहरों में
बारूदी सुरंग पर बैठी इस दुनियाँ को अल्ला राखें, डर लगता है
...

Raghawendra Pandey Biography

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The Best Poem Of Raghawendra Pandey

हर तरफ़ है छिड़ी समय को..

हर तरफ़ है छिड़ी समय को भुनाने की ज़िरह
कल का सौदा टके का, आज बेशकीमती है

कल था नवरात्र तो महँगी थी देवियों की शकल
आज दीवाली में लक्ष्मी-गणेश कीमती हैं

कल की मंदी में तो सूरज भी बिका धेले में
बचे हैं जुगनूँ जो भी आज शेष, कीमती हैं

जब तलक मालिक-ए-गद्दी(गड्डी) थे ताव से सोये
सर पे जब आ गया चुनाव, देश कीमती है

वो अलग दौर था जब राम की जय बोलते थे लोग
आज की लीला में लंका-नरेश कीमती है

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