गुरुवर तुम्ही बता दो किसकी शरण में जायें।
चरणों में जिसके गिरकर अपनी व्यथा सुनाएं।
अज्ञान के तिमिर ने चारों तरफ से घेरा।
क्या रात है प्रलय की होगा नहीं सबेरा।
होगा नहीं सबेरा...........
अनजान सी डगर पे कैसे कदम बढाएं।
गुरुवर तुम्ही बतादो...............
छल, दंभ, द्वेष, ईर्ष्या, साथी हैं सब हमारे।
वो कदम-कदम पे जीते हम हर कदम हारे।
हम हर कदम पे हारे.........
दिखला दो राह ऐसी पीछे ये छूट जाएँ।
गुरुवर तुम्ही बता दो........
अन्याय और हिंसा, बैसाखियाँ हमारी।
जिनके सहारे चलकर हमने उमर गुजारी।
हमने उमर गुजारी.......
पैरों को दो वो शक्ती हम चलना सीख जाएँ।
गुरुवर तुम्हीं बता दो............
बहुतों को हमने परखा, बहुतों को देख आये।
अपने ही रूप को हम, अब तक न देख पाए।
अब तक न देख पाए.........
नेत्रों को दो वो दृष्टि, हम खुद को देख पायें।
गुरुवर तुम्हीं बता दो...................
गिरगिट पिता हमारा, माँ लोमड़ी हमारी।
संतान रंग न बदले, तो क्या करे बिचारी।
तो क्या करे बिचारी........
जब खून में ही फितरत, कैसे उसे छिपायें।
गुरु वर तुम्ही बता दो.......
मत मांगो प्रभु जी हमसे, कर्मों का लेखा-जोखा।
खाया है और दिया है, लोगों को हमने धोखा।
लोगों को हमने धोखा..........
ये पाप की गठरिया, क्या खोल के दिखाएँ।
गुरुवर तुम्हीं बता दो.........
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