हरि दुनिया Poem by jugal milan

हरि दुनिया

हरि हरि छाई है.........
हरियाली कहा से आई है?
बसंत के महीने में......
ये रौनक किसने ले है?

शीत में ठंढ लगी........
पतझड़ में उदासी.......
इस महीने का रंग कैसा?
छाई है खुशहाली........

गाच्छ लगाओ - प्राण बचाओ
हर घर को ये बात बताओ
आओ सारे मिलकर आओ
हरि दुनिया कि सौगात सुनाओ

***जुगलमिलन***

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
आप सबसे अनुरोध है कि आप सभी मिलकर आगे आए और इन वृक्षों को बचाये जो हमारे भविष्य से जुड़े है....और हमारे जीवन से जुड़े ये प्राण के समान है...तो आगे आए और प्रकृति को नष्ट होने से बचाये..
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