कलाकारी Poem by Ajay Srivastava

कलाकारी

जो चलते हुए को रोक दे
व सोचने के लिए विवश कर दे
जो पत्थर मे जान डाल दे
भावहीन मै अहसास की नदी बहा दे
जो रोते हुए को ख़ुशी दे
जो अनेतिकता के खिलाफ विद्रोह भर दे 11

जो न केवल नेतिकता के साथ दे
व दूसरों को भी प्रेरित कर दे
जो कोरे कागज मे जीवन के भर दे
निरआकार को अपनी कलाकारी से
साकार रूप दे दे 11

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