प्रार्थना Poem by Ajay Srivastava

प्रार्थना

यह प्रार्थना है मेरी परमेश्वर से
सारे भक्तो में से मेरी भक्ति पसंद करे
सारे भक्तो के भाव में से मेरा भाव पसंद आये
तुम वरदानो का भंडार हो, तुम दया का सागर हो
में हमेशा तुम्हारी भक्ति और भाव मे रमा रहु

यह प्रार्थना है मेरी परमेश्वर से
तुम मेरे ह्रदय कि तरह
सब के ह्रदय में तुम अपना घर बन लो
पृथ्वी के हर कोने में रहने वाले
हर प्राणी अपने करम और धर्म करते हुए
तुम मे विश्वास करे
यह प्रार्थना है मेरी परमेश्वर से

COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success