हाथ Poem by Ajay Srivastava

हाथ

थाम लेते है तो सफर मे
समय का अहसास नही होता है
कलम ऊठा ले तो गीत व महाकाव्य बन जाते है
हथियार ऊठा ले तो रक्षक हो
फिर तो दुशमन को झुका भी देते है
और जुड जाए तो पक्ष प्रतिपक्ष सम्मान को दिला देते है 11

आगे बडते है सबको अपने पन का अहसास करा दे
देते है तो किसी की झोली खाली नही देते है
झूक जाए तो दोहरा आनंद दिला देते है
एक तरफ आशीर्वाद तो दूसरी तरफ सम्मान
दोनो काम एक साथ कर लेते है 11

हाथ तो हाथ है
चाहत सबकी अपनी अपनी
जिस रूप को अपना लोगे
उसी रूप का रंग आएगा 11

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Ajay Srivastava

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