अपने अपने आसमान हैं
अपने अपने अभिमान हैं
इनके बीच में जकड़े
हमारे और तुम्हारे सवाल हैं
अपने अपने आगाज़ हैं
अपने अपने अंजाम हैं
इनके बीच में जमे हुए
हम और तुम कैसे अनजान हैं
अपने अपने आफ़ताब हैं
अपने अपने माहताब हैं
इनके बीच में टूटते हुए
हमारे और तुम्हारे ख्वाब हैं
अपने अपने सवाल हैं
अपने अपने जवाब हैं
इनके बीच में सिमटे हुए
हमारे और तुम्हारे हिसाब हैं
अपने अपने पहरे हैं
भ्रम के पाँव सुनहरे है
पीड़ को कोई सुन न सके
जाना कि सारे बहरे हैं
***
Nisandeh aapne aapne simane hai Par phir bhi hum ek jaise hai Kuch khamiyon ke sath To kuch gunoo ke haanth Zindagi nibha rahe hai Karke hausele bulandh.. Bahut umda rachna aur sooch hai aapki. Dhanyawad.
आपकी कवितायेँ वाक़ई दिल को छु जाती है, ऐसा अक्सर होता नहीं पर आपके साथ हो जा रहा है, बहुत खूब धन्यवाद, सरल शब्दों में बड़ी बात कह जाने का कमल है आपकी नज़्म में....100 Stars Char lines hamari taraf se... अपनी अपनी नज़्म है अपने अपने जज़्बात हैं इन दोनों के बीच सजे ज़िन्दगी के एहसासात हैं
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बेहरो की बस्ती हैं जनाब, फिर तोड़ देते हैं तुम्हारा ख्वाब।। और पूछते हैं कैसा हैं तुम्हारा शबाब, बचके रहना यह कर देते हैं तुम्हारा दिमाग खराब।। एक बेहतरीन कविता एक बहुत बेहतरीन कवियित्री के द्वारा 100++