दिल के टुकड़े Poem by Ajay Srivastava

दिल के टुकड़े

ऐ नादान प्राणी दिल के टुकड़े मत कर|

दिल के टुकड़े हुए तो धड़कन थम जाएगी|

धड़कन न हुई तो भाव भी न होंगे|

भाव न होंगे तो सम्बन्ध भी न होगा|


ऐ दिल थोड़ी जगह तो माँ को दे|

हर सम्बन्ध का जन्म माँ से है|

ऐ कठोर दिल धरती माँ भी तो तेरे दिल में जगह की अभिलाषी है|

ऐ मनुष्य दिल को बाटने की बात मत कर|


ऐ मानव क्यों करता है दिल को बाटने की बात|

ऐ इंसान दिल की विशालता मत कर कम|

ऐ प्राणी दिल से ही तो तेरा अस्तित्व है|

ऐ मनुष्य दिल से ही तेरी पहचान है|

दिल के टुकड़े
Thursday, September 22, 2016
Topic(s) of this poem: heart
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