चुन ले राह तू अपनी|
अपने इरादो को कर तू बुलंद|
कदम बड़ा विश्वास के साथ|
चलना तुझे हे अकेला ही|
तेरा विश्वास ही दुसरो की राह बनेगा|
मजबूत इरादे की बुलंदी ही जन समूह को आकर्षित करेगी|
तेरे विश्वास भरे कदम ही सामूहिक कदमो में परिवर्तित हो जायेगे|
सही दिशा में चलने से ही सब प्रेरित हो जायेंगे|
बन जा तू सब की जन चेतना साधन का माध्यम|
क्यों की तुम में सब और सब में ही तुम हो|
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem