प्रण कर ले Poem by Ajay Srivastava

प्रण कर ले

प्रण कर लिया है|
मशाल को प्रजवलित करना है|
हर अचेतन व्यकित्तव को चेतन करना है|
देश के वीर सपूतो के बलिदानो की
निजी स्वार्थ से ऊपर उठाना है|
आदर्शषो की एकजुटता को प्रेरित करना है|

प्रेरणा जो एक सशक्त इकाई का रूप ले ले|
नियमो की जडो पर नियञंण कर ले|
एक समपूर्ण इकाई जो हिंसको पर नियञंण कर ले|
हर चुनोती को स्वीकार कर विजय प्राप्त कर ले|
जो एक दूसरे का बचाव न कर देश हित का बचाव कर ले|

प्रण कर ले
Thursday, December 17, 2015
Topic(s) of this poem: determination
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