शिखर कभी नही कहता
नन्हे पोधे को यहॉ पर
क्यो फलता है|
लहर कभी नही कहती
पेरो को यहॉ पर क्यो झुलाते हो|
पृथ्वी कभी नही कहती
प्रदूषण यहॉ पर क्यो फेलाते हो|
पवन कभी नही कहती
स्वाश क्यो लेते हो यहॉ पर|
सब के सब एक ही रंग कर कहते है|
यही है हमारा स्वभाव, यही हमारा कर्म है|
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