यह इल्जाम नहीं हकीकत है।
चुप रहने वालो की वसीयत है।
वो खून भी करते है फिर भी वाह वाह लुट लेते है।
हम वंदना करके भी असभ्यता कि बुछार पाते है।
उनके पत्थर भी सहर्ष स्वीकार कर लेते है।
हमारे फूल भी वो दुत्कार देते है।
उनके गुस्से पर भी वो मुस्करा देते है।
हमारे प्यार पर भी वो आसु बहा देते है।
ऐ भारत माँ तुम ये तो बताओ
देश के दुश्मनो पर इतना कर्म
और देश भक्तो पर अत्याचार क्यो।
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