LUCKY GAUTAM poet

LUCKY GAUTAM poet Poems

"इंसान हे तू, इंसानियत का अर्थ समझ
अपने इतिहास को भूल, भविष्य की सोच
अब तो उठ, किये पापों का प्रायश्चित कर
अपने वयवहार रूपी माला मेँ इंसानियत की मोती पीरो
...

You were my friend
You became little special
You became my darling
Slowly a sweet heart
...

He was born Ambitious
To achieve a zenith height
He knew for it he have to fight …
...

I was entering the place..
The place where worships are made..
Things are ordered to superiors..
Where even richest are beggers..
...

"चाह न एक पल थी हमे छाओ की
हमने तो डूबती कस्तियो को पार निकला है
रह रह कर तडपे है एक बून्द पानी को
पर धूप को हमने न दिल से निकला है
...

I am a teenager…

My mind fluctuates from here to there
My aims changes from common to rare
...

LUCKY GAUTAM poet Biography

doing btech. at AMITY UNIVERSITY, NOIDA)

The Best Poem Of LUCKY GAUTAM poet

इंसानियत

"इंसान हे तू, इंसानियत का अर्थ समझ
अपने इतिहास को भूल, भविष्य की सोच
अब तो उठ, किये पापों का प्रायश्चित कर
अपने वयवहार रूपी माला मेँ इंसानियत की मोती पीरो
संत न सही इंसान तो बन

एक वक्त था, सतयुग का बोलबाला था
तूने ही अपने हाथो से पुण्य को सम्हाला था
पर आज कलयुग की मार हे
कलयुग का अन्धकार हे जिसमे लुप्त हुआ इंसान हे
आज तू हैवानियत की चादर को ओढ चूका हे
अपने बहत्तर के इंसान को तोड़ चूका हे

इंसानियत का अर्थ तू समझ जर्रूर लेना
बड़ो को आदर, छोटो को प्यार देना
अपने देश के प्रति, अपने कर्त्तव्य निभा लेना
अपने माँ बाप का क़र्ज़ चूका देना
अपने आप को एक दिन मूल रूपी इंसान जर्रूर बना लेना

आप भी समय हे, जाग जा
वरना तेरे भीतर का हैवान ही तुझे खा जाएगा
तू अपने हाथो ही अपने आप को मिटा जाएगा "

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