Jinay Mehta Poems

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1.
ये बात ना करो - Ye Baat Na Karo

वक़्त की नज़ाकत को समझो,
आलम गुज़रने की बात ना करो,
क़ज़ा भी है मेहकी हुई,
अभी बेहकी बेहकी बातें ना करो,
...

कैसा अजीब सा आलम है इस जहां में,
एक ही आदमी के कितने रूप है ज़िन्दगी में,

यहाँ इब्तिदा होते ही ज़िन्दगी के अंज़ाम का ख़ौफ़ है,
...

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