छीन कर ले गई थी एकाकीपन
प्यास हुई तृप्त
जाम के गिलास से फिसलती मेरी उंगलियां
दिल की धड़कन में एक खुशी
प्यार का सिलसिला
तुम्हारा वो झूठमूठ बिछड़ना
और इतराना |
बन गये फिर से अजनबी
सह नहीं पाता तुम्हारी खामोशी
हसरत है कि टूट जाय
झूमझूम कर उभरती
नाच की धुन का लय
यादों में और ख़्वाबों में;
मैं एक महत्वाकांक्षी लेखक
व फ़िल्म-निर्देशक
जूझता और सुलझाता हर कड़ी
झिलमिलाती पर्दे पर रोशनी
झांकती मेरे दिल में;
यह केमेरा
काला कलुटा
देख रहा मेरे भीतर दर्दनाक सिनेमा
छूता, सहलाता
मेरी रूह का जिस्म
मेरी संवेदनायें और अनुभूति;
घायल मन में
छुपाई तस्वीरें चुरा कर
मनोरंजन करवाता लोगों का
भड़ुवा
मेरी खिल्ली उड़वाता
यह बौद्धिक वैश्यावृत्ति है
या सृजनशीलता?
यह कैसी उस नराधम
तस्वीर-चोर की साज़िश!