Phool Gulab Ka Poem by Shyam Sunder Gaur

Phool Gulab Ka

''ना जाने क्यों वो फिर भी इतना प्यार करती है आज भी मुझसे, , , , , , , ''मैंने तो कभी माँ को गुलाब.का फूल नहीं दिया, , , ,

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