देखो मुल्क मराठों का यह, यहाँ शिवाजी डोला था, मुगलों की ताकत को जिसने तलवारों पर तोला था, हर पर्वत पर आग लगी थी, हर पर्वत इक शोला था, बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था।वीर शिवाजी ने रक्खी थी लाज हमारी शान की, इस मिट्टी से तिलक करो, यह मिट्टी है बलिदान की।यह है आपका राजपुताना, नाज़ इसे तलवारों पे, इसने अपना जीवन काटा, बरछी तीर कटारों पे, यह प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे, कूद पड़ी थी यहां हजारों पद्मनिया दहकते अंगारों पे।बोल रही है कण- कण में कुर्बानी हिंदुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो, यह मिट्टी है बलिदान की।शिवाजी के जन्म-उत्सव पर तहेदिल से उन्हें अनंत कुर्बानियों के लिए नमन! ! ! !
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