Mujhe Nahin Banana Aisa Vidhayak (Hindi) Poem by S.D. TIWARI

Mujhe Nahin Banana Aisa Vidhayak (Hindi)



मुझे नहीं बनना ऐसा विधायक
मुझे नहीं बनना ऐसा विधायक।


सरकारी साधन अपनों में बाँट न सकूँ,
घोटाला करने वालों से सांठ न सकूँ,
चुनाव लड़ूँ, क्या सुनने को लोक शिकायत?
मुझे नहीं बनना ऐसा विधायक।

चहेतों को सरकारी नौकरी दिला न सकूँ,
साल भर में एकाध करोड़ कमा न सकूँ,
कैसे बन पाउँगा फिर लोक सेवा के लायक,
मुझे...

रिश्तेदारों के हाथ पद सरकारी न हों।
संग काफिला, आठ-दस बंदूकधारी न हों,
विशिष्ट व्यक्ति की अगर हो न कवायत,
मुझे...

यदि साधारण सा जीवन जीना पड़े,
आम आदमी की तरह झेलने हों रोड़े,
तो भला कौन कहेगा अधिनायक,
मुझे...

अधिकारिओं पर चंदा बाँध न सकूँ,
अय्याशी में जिंदगी काट न सकूँ।
जनता के पैसे से घूमूं नहीं विलायत,
मुझे...

एस. डी. तिवारी

Thursday, January 9, 2014
Topic(s) of this poem: hindi,politics,satire
COMMENTS OF THE POEM
Brian Jani 23 June 2014

I wish that one day i find this poem with a translation; hopeful English

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