Khayalo Ki Talaash Mein Poem by Deepak Malapur

Khayalo Ki Talaash Mein

कुछ लिखना था कुछ और ही लिख दिया
ऐसे ही कई कागजों का गला घोट दिया
चल्ते चल्ते, लिखते लिखते हार गया है कलम
पेट भर के बदहजमी से मर रहा है कूडादान
जी तोड कोशिश की पर माने न बावरा मन
नींद भी रूठ गई है, अब रात काटना है ना मुमकिन
अल्फाज से अल्फाज जोडकर जंजीर बनाया है
खयालों को बांधने की जितनी कोशिश की है
ये दिल उतना ही नाकाम हुआ है

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