Janaja Poem by AVINASH PANDEY KHUSH

Janaja

जनाजे कि शाम को भुलाया ना करिये
हाथ से दूर तकदीर नही होती, हर कॉच मे तस्वीर नही होती
दूनिया वाले कुछ भी कहे, मगर अपनो से जूदाई मे जंजीर होती है
जनाजे की शाम को भूलाया ना करिए, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
जनाजे की शाम को भूलाया ना करिए, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
जो दिल टृट जाये तो बनाया ही करिये, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
उजडे महल को बसाया यू करिये, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
तडपते है दाता तडपते है भाई, तडपती है बहना तडपती है माई
निगाहो को अपने उठाया यू करिये, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
जनाजे की शाम को भूलाया ना करिए, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
जूदाई मे अपनो के ना कटती है रैन, एक पल भी आये ना दिल मे चैन
दर्द को समझ कर मिटाया यू करिये नयनो मे दर्द को बसाया यू करिये
लिखता हू कविता तो कटती है रैन, सुनाता हू कविता तो दिल को चैन
चेतनाओ को अपने जगाया यू करिये, पहचान अपनी दिखाया यू करिये
जनाजे की शाम को भूलाया ना करिए, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये
जनाजे की शाम को भूलाया ना करिए, यू हर रोज आप मुस्कराया ना करिये

Janaja
Thursday, December 25, 2014
Topic(s) of this poem: pain
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janaja ji shaam
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AVINASH PANDEY KHUSH

AVINASH PANDEY KHUSH

20/10/1995 JAUNPUR U. P. BHARAT
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