Hindi Translation Of Arundhati Subramanyam's 5.46 Andheri Local Poem by Dr. Shubha Dwivedi

Hindi Translation Of Arundhati Subramanyam's 5.46 Andheri Local

५ः४६ अँधेरी लोकल
द्वारा अरुंधति सुब्रमण्यम

एक बाम्बे लोकल के
महिला कक्ष में
हम नहीं खोजते
कोई वैयक्तिक दिव्यदृष्टि ।
कठोर एसिटिलीन द्वारा चाटी गई धातु की तरह
हम गढ़े गए हैं-
सपने, आपदाएँ
जीवाणु, नियतियाँ,
मांस और ऑर्गैन्जा
गंध और अंडाशय
सहस्त्र अंगों वाली
करोड़ों जिह्वाओं वाली, बहुपतिका पहियों पर काली ।

ज्यों ही मैं नीचे उतरती हूँ
मैं चुन सकती थी
गाजरों को टुकड़ों में काटना
या कि एक प्रेमी
मैं बाद वाले को मुल्तवी करती हूँ।

This is a translation of the poem 5:46, Andheri Local by Arundhathi Subramaniam
Friday, October 28, 2022
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