और दुनिया में कुछ कमी न हुयी (Hindi) Poem by Rajnish Manga

और दुनिया में कुछ कमी न हुयी (Hindi)

Rating: 4.5

ग़ज़ल
और दुनिया में कुछ कमी न हुई


और दुनिया में कुछ कमी न हुई
दिन हुआ दिल में रौशनी न हुई

सफर-ए-मंजिल ने ऐसा परीशां किया
पास आ कर भी हमको खुशी न हुई

तेरी नज़रों का हो गिला क्यों कर
दुश्मनी दिल से दुश्मनी न हुई

पास रह कर भी इतनी दूर हैं दिल
गोया ये इक्कीसवीं सदी न हुई

कहाँ पे जायेंगे ये काफ़िले ज़माने के,
इसकी तस्दीक भी सही सही न हुई

आखरी रोज़ हमपे ये राज़ फ़ाश हुआ,
ज़िंदगी ढंग की ज़िंदगी न हुई

न समझ आये यही बेहतर है ‘शरर'
हमसे क्योंकर भला नहीं न हुई


- - - - -
(Faridabad, India)
(December 13,2014)
Poem composed in 1974 ('Sharar' is my pen name)

Saturday, December 13, 2014
Topic(s) of this poem: day,disappointment,heart,light,world
COMMENTS OF THE POEM
M Asim Nehal 09 September 2015

Awesome, Superb and Mind Blowing......................10++ कहाँ पे जायेंगे ये काफ़िले ज़माने के, ..................................... इन्हे कोई मंज़िलें भी मयस्सर न हुई (आज के दौर में यही हो रहा है मंज़िलों का पता नहीं फिर भी काफिले लेकर निकलते हैं)

5 0 Reply
Abdulrazak Aralimatti 26 December 2014

truly life is a mystery

3 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 01 August 2015

manzil ne niraash nahi kiyaa aapne mehnatkiyaa or sab kuchh paaya

3 0 Reply
Rajnish Manga 01 August 2015

Thanks for your lovely comments about my poem, Sir.

0 0
Tribhawan Kaul 28 June 2016

Ek khoobsoorat rachna......सफर-ए-मंजिल ने ऐसा परीशां किया पास आ कर भी हमको खुशी न हुई.....waah waah. :)

1 0 Reply
Tribhawan Kaul 16 May 2016

अति सुन्दर भावपूर्ण सृजन..... आखरी रोज़ हमपे ये राज़ फ़ाश हुआ, ज़िंदगी ढंग की ज़िंदगी न हुई :)

1 0 Reply
Pushpa P Parjiea 17 April 2016

सफर-ए-मंजिल ने ऐसा परीशां किया पास आ कर भी हमको खुशी न हुई...........खूब सुरती से शब्दों के माध्यम से दिल के मार्मिक आह्लाद को वर्णित करने के लिए शुक्रिया रजनीश भाई जी...आशा है की हमें और भी एईसी ही गज़ले पढ़ते रहने को मिलेगी कृपया आप लिखते रह्येगा

2 0 Reply
Rajnish Manga 17 April 2016

कविता के बारे में आपकी प्रशंसात्मक टिप्पणी के लिये आभारी हूँ, बहन पुष्पा जी.

0 0
Upendra Singh Suman 17 January 2016

कहाँ पे जायेंगे ये काफ़िले ज़माने के, इसकी तस्दीक भी सही सही न हुई भई, वाह! खूब.......शुक्रिया

1 0 Reply
Upendra Singh Suman 17 January 2016

कहाँ पे जायेंगे ये काफ़िले ज़माने के, इसकी तस्दीक भी सही सही न हुई भई, वाह! खूब.......शुक्रिया

1 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Rajnish Manga

Rajnish Manga

Meerut / Now at Faridabad
Close
Error Success