अपना होंसला Apnaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अपना होंसला Apnaa

अपना होंसला

ये थोड़ी ज्यादती होगी
हमारी बढ़ती आकांक्षाए होगी
हम जरूर ऊपर उठना चाहेंगे
और सबको अपना हिस्सा दिलवाएंगे।

हमने क्यों किसी को नचवाना?
क्यों ना ख़ुशी से खुद ही नाचना'?
सब को सम्मलित करना
और अपनी बात समझाना।

राहें थोड़ा सा मोड़ बदलवा सकती है
अपने हाजिर होने का दावा कर सकती है
थोड़ा सी मुश्केली का इजहार करवा सकती है
समय आने पार अपनी हठ को मनवा सकती है।

फिर भी हमारा एक एलान होगा
सब का यहाँ सन्मान होगा
हर एक को मौक़ा प्रदान किया जाएगा
सब देखेंगे संसार का क्या मतलब रहेगा।

हम सब का मकसद एक
रहना साथ में और सोचना भी नेक
नहीं छोड़ेंगे अपनी जीद सब को साथ रखने की
सब को ये बात बताने की और अपना होंसला बढ़ाने की।

अपना होंसला Apnaa
Friday, May 26, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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हम सब का मकसद एक रहना साथ में और सोचना भी नेक नहीं छोड़ेंगे अपनी जीद सब को साथ रखने की सब को ये बात बताने की और अपना होंसला बढ़ाने की।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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