'तस्वीर' Poem by Rahul Vyas

'तस्वीर'

तस्वीर बनाई मैंने,
वो आई उसमे रहने,
मुस्कराहट की वजह से,
घर पर सजाई मैंने ||

लगाया उसमे कनक,
आयुष भी आया उसमे,
एक टूटे से घर को,
स्वर्ग बनाया उसने ||

मुस्कराहट से मुझको,
अच्छी लगने लगी वो,
कुछ और बनाने जाऊ,
तस्वीर बनने लगी वो ||

तस्वीर बनाई मैंने,
वो आई उसमे रहने ||

- राहुल व्यास

Saturday, September 20, 2014
Topic(s) of this poem: love
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
यह कविता मैंने जब बनाई थी जब मुझे प्यार हुआ था और इस कविता मै मैंने जिससे प्यार किया था उसके दो नाम है|
COMMENTS OF THE POEM
Aftab Alam Khursheed 21 September 2014

yes its for that moment yet a lovely one.. love makes a man to love and play with words thank you

2 0 Reply
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Rahul Vyas

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