मनाय ललितादिक अली, बिनवउँ सब बृज ग्वाल।
चरण रज मो कहुँ दीजिये, राखिये शरण कृपाल।
षोडश सखा सेवत विविध विधि,
बनि बासन बसन तरु मोर क्रीट भ्राजहिं।
कबहुँ मोरपँख मुकुट मणि माणिक्य मुक्ता बनि,
कबहुँ नीलाम्बर पीताम्बर श्री बदन महँ राजहिं।।
भोजन आसन चोपड़ वाद्दयँत्र कबहुँ बनि,
कबहुँ पायन घुँघरु बनि श्री चरण सँग विराजहिं।
'नवीन'न्योछावर जात सखन विविध रूप पर,
श्री श्रीकृष्ण अधर अरुणाभ बनिबे सुख पावहिं।।
श्रीदामा सुदामा दाम अँश पीठ मर्द सखा,
प्रिय नर्म सुरबल अर्जुन गन्धव^ सनन्द हैं।
विदूषक मधुमँगल पुष्पाँक हँस विटसखा कडार,
भारती बातन बनाय बढावत अनन्द है ।।
भँगुर भृँगार सन्धिक ग्रहल मिलावन प्रवीण,
बाल सखा पल्लव, इत्र लगावत प्रेमकन्द हैं।
सुमन पुष्पहास हरचँदन पुष्पहार सेवा करत,
वारिद वारि मृदँग सारँग, वस्त्र श्रृँगवरी मकरन्द है।।ं
रक्तक रक्तचँदन कुँकुम केश,
पत्रक तमाल पलाश पक्षी ताल तरु बन्यो है।
मधुवर्त मधुकर रसाल पनस द्रुम,
विशाल छायासुखद परम तरु विशाल भयो है।।
चन्द्रहास चन्द्रप्रभा बनि नृत्य करत,
रसद विलास अभिनय सँ श्याम रिझ्यो है।
कमल विमल पदत्राण लै ठाढे रहत,
विशालाक्ष रसाल रसशाली पान सँजोयो है।
सदानँद प्रकाश करैं, बुद्धिप्रकाश बूटि बनैं,
करन्धम चँदन, 'नवीन'चरण जावक बन्यो है।।
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