अमरगान Poem by Jaideep Joshi

अमरगान

माना जीवन क्षणभंगुर है, (पर) सबमें अमरत्व का अंकुर है।

कहते हैं जिन्हें हम अमर यहाँ, है देह तो उनकी पंचभूत;
उनकी कर्म-कस्तूरी की महक से किन्तु, है हर मानस-चित्त अभिभूत।
गौरव का उनके अमरगान, करता सृष्टि का हर सुर है;

माना जीवन क्षणभंगुर है, सबमें अमरत्व का अंकुर है।

विघ्नों की चुनौती आयुपर्यन्त, आशाओं की संभावनाएं अनन्त।
कर्तव्यों के सतत निर्वहन से ही, बनती यह पुनीत यात्रा जीवन्त।
हर्ष और विषाद स्थित दृष्टि में, इस द्वंद्व की व्याख्या प्रचुर है।

माना जीवन क्षणभंगुर है, सबमें अमरत्व का अंकुर है।

कालचक्र की गति निरंतर, एकदिशीय जीवन की लहर;
लक्ष्यों का निर्धारण कर, इस पावन पथ पर हो अग्रसर।
ऊहापोह कोई विकल्प नहीं है, समय बड़ा निष्ठुर है।

माना जीवन क्षणभंगुर है, सबमें अमरत्व का अंकुर है।

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