भयभंजना Poem by Jaideep Joshi

भयभंजना

सरस्वती तेरी जिह्वा पर, बाँहों में हनुमान सा बल,
पूर्णश्रेष्ठ, पार्थसारथी, परंतप श्रीकृष्ण सी बुद्धि प्रखर है,
तो तुझे किस बात का डर है?

आशुतोष सा तितिक्षु अगर, ब्रह्मा सा विपुल ज्ञान कौशल,
मोक्षदायी, मर्मज्ञ, महेश्वर श्रीराम सी मर्यादित डगर है,
तो तुझे किस बात का डर है?

विष्णु सा स्नेही पालक प्रवर, हेरम्ब सी प्रवीण लेखनी चपल,
धीर, धनुर्धारी, धुरंधर अर्जुन सी तीक्ष्ण नज़र है,
तो तुझे किस बात का डर है?

तत्त्व-ज्ञान का तू अन्वेषक, सत्य-धर्मं हैं तेरे रक्षक;
निष्कलंक, निर्विघ्न, निरंतर आत्मा अजर-अमर है,
तो तुझे किस बात का डर है?

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