देखो सभी तेवर बदलने लगे नोट Poem by MANINDER SINGH

देखो सभी तेवर बदलने लगे नोट

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देखो सभी, तेवर बदलने लगे नोट,
खुद ही जेबो से अब निकलने लगे नोट,

था रुपया, कब से तिजौरी में ही बंद,
ताज़ी हवा में आज उड़ने लगे नोट,

पीया लहू मजदूर का, हर किसी ने ही,
उस खून को नीलाम करने लगे नोट,

कैसे सियासत खेल खेले सभी में आज,
हर चाल अपनी सोच चलने लगे नोट,

जग है रही उम्मीद अच्छे दिनों की,
होगा 'मनी' कुछ, बात करने लगे नोट, ,

मनिंदर सिंह 'मनी'

Wednesday, December 7, 2016
Topic(s) of this poem: poem
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