आँखों से वो गुस्ताखियां करने लगा Poem by MANINDER SINGH

आँखों से वो गुस्ताखियां करने लगा

Rating: 5.0

आँखों से वो गुस्ताखियां करने लगा,
हर बात वो दिल की, नज़र से पढ़ने लगा,

पहला मिलन है आज उस से यूँ मेरा,
फिर जाने क्यों वो आदतन लगने लगा,

धीरे से उसका मुस्कुराना देख मुझे,
आँखों में मेरी शर्म सी भरने लगा,

तज़वीज़ उसकी, कुछ गुफ्तगू करने की,
मुझ को कभी, थोड़ा मसखरा लगने लगा,

दीदार की ये रात थम जाये यही,
दिल में "मनी" वो मेरे बसने लगा,

मनिंदर सिंह "मनी"

Wednesday, December 7, 2016
Topic(s) of this poem: love and life
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 07 December 2016

मधुर मिलन और प्रेम की भावनाओं को समर्पित यह एक खुबसूरत कविता है. शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद, मित्र.

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