मातापिता के चरणों मे समर्पित‏ Poem by Pushpa P Parjiea

मातापिता के चरणों मे समर्पित‏

Rating: 5.0

....जिनके साथ बचपन खेला,
जिनसे सुनी लोरियां मैंने
, जिसका साया छावं थी मेरी,
जिनके लिए थी एक नन्ही परी मै,
जिनकी आँखों में था इंतज़ार मेरे आने का ,
जिनके लिए था मेरे मन में प्यार जो थे मेरा जीवन,
जो है आज भी मेरा तन मन,
जिनसे बनती थी जीवन बगिया मेरी,
जिनसे हुआ गुले बहार चमन मेरा,
अब एक मीठी सी ठंडी सी याद है उनकी मन में,
जो भर देती हैं इन अंखियों में असुवन जल
क्यूँ वो सहारे छीन गए क्यूँ वो हमसे दूर हो गए ,
.. जिनसे पाया था ये जीवन जिनसे पाया था ये जीवन..

Saturday, April 16, 2016
Topic(s) of this poem: alone
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 10 June 2016

जिसका साया छावं थी मेरी, जिनके लिए थी एक नन्ही परी मै, .../ माता पिता को श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत आपकी यह कविता अद्वितीय है. अत्यंत भावुकतापूर्ण व प्रभावशाली.

1 0 Reply
Pushpa P Parjiea 18 August 2017

bahut bahut dhanywad bhaai .. ji bhai mata pita to hote hi eshwar swaroop hain unke liye jitna likha jay kam hi lagta hai..

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