ये जो - पहचान Poem by Ajay Srivastava

ये जो - पहचान

Rating: 4.0

ये जो विश्वास प्रगट हो रहा है|
तुम्हारे परिश्र्म का परिणाम है|


ये जो आसु जो जलके है|
तुम्हारे मन का उद्गार है|

ये जो पलके झुकी है|
तुम्हारे दिल की अभिव्यक्ति है|

ये जो चेहरे पर लालिमा है|
तुम्हारी संतुष्टि का प्रतिक है|

ये जो वाणी में मिठास है|
तुम्हारे प्यार की पहचान है|

ये जो - पहचान
Wednesday, December 23, 2015
Topic(s) of this poem: identity
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success