प्रयास करना तुम्हारा कर्म है|
कर्न को फलीभूत करना तुम्हारा धर्म है|
धर्न का सदुपयोग तुम्हारा दायित्व है|
दायित्व का पालन करना ही वांछित फल है|
फल का समान वितरण करना न्याय है|
न्याय करने से ही उत्तपन्न सन्तोष है|
सन्तोष से ही स्थिरता है|
स्थिरता की पहचान शंति है|
शंति आज की आवशयकता है|
आवशयकता अविष्कार की जननी है|
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem