Surendra Singh Rajput

Surendra Singh Rajput Poems

संकल्प

एक संकल्प था
जीवन से सत्यता को निभाने का
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क्या तुम हो तैयार?


एक बार में,
...

The Best Poem Of Surendra Singh Rajput

संकल्प

संकल्प

एक संकल्प था
जीवन से सत्यता को निभाने का
एक संकल्प अपने पर भोगे सत्य को व्यक्त करने का
एक जीवन ज़िन्दगी जीने का
अब तक उसी आशा में हूं
कब उपयुक्त आयेगा समय
और कब होगा मेरे मन में एक सत्य का प्रकाश
जीवन कलियों फूलों की कहानी
काँटों की तरह से भी जिया
काँटों को छुआ उनसे लहू को स्पर्श कराया भी
लिखूँ कैसे प्यार से मनुहार से गुहार से
या पसीने से लहू से तलवार से
सत्य को उजागर करने के लिये इतने
घर्षण का विरोध क्यों है मन में
मैने कई बार पिया है सुलगते अंगारों को
आसमान और सुनसान रातों के टिम-टिमाते तारों को
भीगी पलकों भीगी तकियों भीगी चादर
और तौलियों से मन को कैसे खाली करूं
अवरोध है बरकरार
क्यों मेरे मन को मष्तिष्क को
सच को बाहर निकालने के लिये
करनी पड़ेगी तकरार
और मेरे जीवन के सत्य से
क्या किसी अन्य का हो सकता है उद्धार
अंतर्व्दन्द की परतों पर परतें
जमी हैं
खुलती क्यों नहीं सत्य की गांठ
मन ने क्यों इतना दृढ़ संकल्प लिया
सत्य को बीनना चुनना समेटना सहेजना
फिर मन की गांठ में बांध लेना
उजागर न होने देना
क्या सत्य बंधनों का है नाम
या कभी न खुलने वाली गांठ का
मन के भरोसे बैठे रहने का सत्य
कैसा है यह मेरा संकल्प!
मेरे जीवन का संकल्प! !

- - - - - सुरेन्द्र सिंह राजपूत
7 मई,2016

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