raahgir - राहगीर Poem by Abhaya Sharma

raahgir - राहगीर

खो गये मिल कर भी जो
उनसे कोई कुछ क्या कहे
मंज़िलों के पास आकर भी
भटकते रास्ते चलते गए

और जो न काम कोई
कर गये संसार में कुछ
क्या वो पायेंगें यहां सुख
झेल न पाये जो सौ दुख
और हासिल क्या करेंगें जीत वे
जो हारने के डर से बोझिल हो चले

आज फिर से गीत मेरा गूंजता
दर्द की हर आह में है झूमता
मैं बना अमृत के प्याले ढालता
जो अभय है बस उन्ही को पालता

अभय शर्मा,1 जुलाई 2010

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Abhaya Sharma

Abhaya Sharma

Bijnor, UP, India
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