Mere Dil Ki Baat- Koi Kahe... (Hindi) Poem by rakesh gupta

Mere Dil Ki Baat- Koi Kahe... (Hindi)

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मेरे दिल की बात - कोई कहे...
- - - - - राकेश गुप्ता
कोई कहे,
तू समझता नहीं.

कोई कहे,
तू कुछ कर सकता नहीं.

कोई कहे,
तू घमंडी हो गया.

कोई कहे,
तू पछतायेगा.

कोई कहे,
तू बीवी का सुनता है.


कोई मुझसे पूछे,
मैं ऐसा क्यों हुआ?
मेरा जवाब,
आप लोगो की गलतफहमियों के वजह से.

कब परिवार में अपनों से ज्यादा,
दूसरों को प्यार देने लगे,
तो अपने पराये लगने लगते है.

जब अपनों से ज्यादा,
दूसरों का ख्याल रखने लगे.

दूसरों के सामने अपनों को,
नीचा दिखाना.

दूसरों का दर्द समझना,
अपनों का नहीं.

जब बड़े ही गलत,
रास्ता अपनाए.
तो छोटो को,
क्या समझाए.

यही सब देख,
मेरा दिल रोया.
और फिर कहते,
तू बदल गया.

***************जब अपनों से ज्यादा पराये नजदीक हो जाए तो अपने दूर हो जाते है। अगर नहीं होना चाहें तो जबरन दूर कर देते हैं ।******************************************************

Mere Dil Ki Baat- Koi Kahe... (Hindi)
Tuesday, May 9, 2017
Topic(s) of this poem: brotherhood,family,love and life,mom,sad,sad love,valentines day
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
जब अपनों से ज्यादा पराये नजदीक हो जाए तो अपने दूर हो जाते है। अगर नहीं होना चाहें तो जबरन दूर कर देते हैं ।
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 09 May 2017

A thoughtful poem, the picture further illustrates your thoughts.

1 0 Reply
Rakesh Gupta 09 May 2017

Thnx akhtar jawadji

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