Jab thokar lagiti hai (जब ठोकर लगाती है) Poem by Shiv Abhishek Pande

Jab thokar lagiti hai (जब ठोकर लगाती है)

जब ठोकर लगाती है
तो समहलने का होश आता है
दर्द से होते है जब हम इतने आबाद
तो हमारी हंसी मे भी वो दर्द उतर आता है

गैरों से नहीं ना उम्मीद हुई
मेरी खवाइश
वो तो अपने ही थे
जिनने कहा था
'की तू मेरा क्या है '

दर्द गर चोट से वाकिफ है तो
जख्म भरने की उम्मीद रहती है
ये तो गम- ए- दिल का जखम है
जो रह रह कर गहराता है

तमाम जुम्बिशों से
इजहार हुआ था कभी
फिर होश आया तो वो कहते है
की तुम्हारे इश्क़ पे एतबार की वजह क्या है?

हम तो कैद कर बैठे
उन मे खुद को
और अब इश्क़ मे रंज रखें तो
दिल पे मलाल रहता

इश्क़ को मेरे तू कैद समझता है
तो जा आजाद करता हूँ तुझे
तू भी याद करेगा
जब तेरी दुनिया मे
एहसासों की कमी होगी तुझे …………

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
pain of love
COMMENTS OF THE POEM
Hardik Vaidya 14 April 2013

Shiv Abhishek Pandey, very well written. Lekin wo zindagee hee Kya jiskee kismat ko Kaide mohobbat Naseeb Naheen? Wo aashiq hee kyaa Jo doobkar bhee zindaa nahee. Subhan Allah likhte rahen.

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