Hum Chale Poem by sanjay kirar

Hum Chale

उमड़ कर दिल की गलियों से
उतर कर फूल कलियों से
हम चले हम चले
कुछ कर गुजरने
संग संग सम्बरने

हम चले हम चले


रोशनी के काफिले
क्या महल क्या किले,
अर्जियो ने कहा
आ मिले हम गले,
नीले आसमा के तले हम चले हम चले

नंगे पैरो के तले
छाले गुदगदी करे,
जस्न हुआ हर एक पल
राहें खुद ही सजे,
ऐसे वक्त में पले हम चले हम चले

संग तेरे कितने हसी लग रहे हैं रास्ते
हमसफ़र जो बने एक दूजे के वास्ते
खोल कर नाव को
छोड़ कर छाँव को
हम चले हम चले

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