दीप जले, दीप जले
प्रसून के सम ह्रदय खिले. दीप जले...
चारों और उजियारा छाये
मन में छुपा अँधियारा जाये
सबके मन में प्रेम फले. दीप जले...
स्वार्थ हेतु मिलावट ना करना
स्वास्थ्य हेतु प्रदूषण से बचना
निर्बल को भी लगाना गले. दीप जले...
कलुषित मन ना होने पाये
उल्लसित होकर पर्व मनाएं
दुर्भाव, विकार समूल जले. दीप जले...
जिनके घर रहता अँधियारा
है ये परम कर्तव्य हमारा
उनके घर भी दीप जले, दीप जले...
दूर रह के
याद आता है खाना
माँ के हाथ का
दिवाली आई
मिलावटी मिठाई
खाके मनाई
उनसे अच्छी
हमारी पिकनिक
टी वी रियल्टी
लड़ी मनाती
भारत की दिवाली
चीन की बनी
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Dur reh ke yaad aataa hai maan ke hathon ka khana, Pradesh men hun milawati mithaai hi hai mujhe khana,