Admiyata Poem by S.D. TIWARI

Admiyata

क्यों चले हो पशु बनने को
थोड़ी मिट्टी थोड़ा कागज लेकर?
खो दिया तो पा न सकोगे आदमियता
फिर, प्राणों की भी आहुति देकर i

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