Aansuon Ko Rokkar Poem by milap singh bharmouri

Aansuon Ko Rokkar

क्या मिला है आपको आंसुओं को रोक कर
कर ली खराब जिन्दगी बेसबव सोच कर

कितने ही हो चुके बर्बाद सोच सोच में
अब भी कुछ वक्त है अब भी कुछ गौर कर

गये हुए वक्त को बार बार सोचना क्या
जीना हो जहाँ में तो जिओ दिल खोलकर

मेरे लिए जो गलत है तेरे लिए वो ठीक है
गलत ठीक का न तू हर घड़ी मापतोल कर

ये दिल है शीसे का दरार तो रहेगी ही
कितने दिन जिओगे दिल के पुर्जे जोडकर

आपकी ही बात नही हमने भी धोखे खाए है
जिसे भी मेने दिल दीया चले गये तोडकर


milap singh

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
milap sinhg dwara likhi gai is shayari me dil khol kar jine ke liye kha gya hai.

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आंसुओं को रोक कर
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