Arun Azad
मोहब्बत का ये नायाब घर अच्छा नहीं लगता,
ऐे साथी तेरे बिना कोई शहर अच्छा नही लगता,
जब हम दोस्त थे तो मिलने की हसरतें दिल मे थी,
मोहब्बत में तुझसे बिछड़ने का ये डर अच्छा नहीं लगता।
बड़ी तकलीफों से लड़ना पड़ता हैं मुझको,
शायद इसका तुझको एहसास नही होता,
ऐ समुंदर नहीं मोहब्बत हैं मेरे 'ख्वाहिश'
इतनी आसानी से पार नहीं होता।
होने से संग तेरे सबकुछ के मौज हैं मेरे
बिन तेरे मुझको कोई मगहर अच्छा नहीं लगता
मोहब्बत में तुझसे बिछड़ने का ये डर अच्छा नहीं लगता।
तेरा होना जब ना होने जैसा लगता है,
ना जाने कौन सा कांटा नाजुक दिल पर चुभता है,
तेरी खामोशियो का ये कहर अच्छा नहीं लगता।
मोहब्बत में तुझसे बिछड़ने का ये डर अच्छा नहीं लगता
Dil hamara bhi kaha lgta h tumhare bina. Sab Suna Suna SA lgta h tumhare bina .
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Tum kaha ho itna achha likha h .