गये तुम इस जहां से क्या. Poem by KAUSHAL ASTHANA

गये तुम इस जहां से क्या.

गये तुम इस जहां से क्या.
सभी खुशियों ने संग छोड़ा
पराये तो पराये थे
सभी अपनों ने मुख मोड़ा |

मन वीरान तन पतझड़
बहारे दूर जा बैठी
बहिस्कृत हो गया जग से
सभी रिश्तों ने दम तोड़ा |

नही टूटेगा बंधन प्यार का
विश्वास था हमको
पलों में टूट कर बिखरा
युगों जो साथ मिल जोड़ा |

हो गये खाक सब सपने
हुआ कैसा सितम मुझ पर
किसी ने भर घड़ा दुख का
हमारे सर पे ला फोड़ा |

उफनती वेग से दरिया
कस्तियां डूब जाती है
कौशल उस जगह डूबा
जहां पानी बहुत थोड़ा |

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