जानिये Poem by vijay gupta

जानिये



"जानिये"
"दूर से कुछ चीजें सुहानी लगती है,
पास जाने पर उनकी हकीकत पता चलती है।"

"था इंतजार बेसब्री से जिनका,
पास आए तो पता चला वह तो खाली कारतूस है।"

"त्योहार दिवाली का आया,
खुशियां तमाम लाया,
पर यह क्या राम खिलावन की,
तो साइकिल ही नीलाम करा गया।"

"दुनियां का दस्तूर देखिए,
नई-नई चीजें पुरानी पड़ जाती हैं,
और एक समय ऐसा भी आता है,
सब सभ्यताएं बीते जमाने की कहानी बन जाती हैं।"

Sunday, July 29, 2018
Topic(s) of this poem: realisation
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vijay gupta

vijay gupta

meerut, india
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